transformer kya hai - ट्रांसफार्मर क्या है What is Transformer in Hindi

 ट्रांसफार्मर क्या है?

यह एक विद्युत मशीन है, यह विद्युत उत्पन्न नहीं करती है। यह केवल हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज और लो वोल्टेज को हाई बोल्टेज में बदल देता है। इसका कोई भी पार्ट चलने या घूमने वाला नहीं होता है। इसको हिंदी भाषा में परिणामित्र कहते हैं।

What is Transformer in Hindi). Transformer Kya Hai
What is Transformer in Hindi). Transformer Kya Hai 

यह केवल A. C. पर वर्क करता है, लेकिन D. C. पर नहीं करता है। यदि D. C. पर वर्क कराया जाए। या ट्रांसफार्मर में डी. सी. सप्लाई दी जाए। तो ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग जल जाएगी। और ट्रांसफार्मर खराब हो जाएगा। 

ट्रांसफार्मर का सिद्धांत क्या है

“यह फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर वर्क करता है।”


ट्रांसफार्मर की दक्षता

अच्छी गुणवत्ता के ट्रांसफार्मर की दक्षता 95% – 99% तक होती है।


ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया था

इसका आविष्कार माइकल फैराडे ने किया था।

ट्रांसफार्मर के पार्ट्स Transformer kya hai

यह निम्न प्रकार से हैं-


1.टैंक

यह ट्रांसफार्मर का मुख्य भाग होता है, क्योंकि इसी भाग में ट्रांसफार्मर ऑयल भरा जाता है, और इसी में कोर और कोर में लिपटी वाइंडिंग को डुबाया जाता है।


2.कोर

यह भाग लेमिनेशन किया हुआ होता है, लेमिनेशन की मोटाई 0.25 – 0.5 मिमी होती है। यह सिलिकॉन स्टील का बना होता है। इसी भाग पर वाइंडिंग की जाती है। इसका मुख्य उपयोग फ्लक्स को आसान रास्ता देना होता है।


3.प्राइमरी वाइंडिंग

यह वाइंडिंग हमेशा स्त्रोत से जोड़ी जाती है, अर्थात् मेन लाइन से जोड़ी जाती है। इन वाइंडिंगों को ताँबा से बनाया जाता है।


4.सेकेण्डरी वाइंडिंग

यह वाइंडिंग हमेशा लोड से जोड़ी जाती है, अर्थात् किसी प्रोडक्ट से जोड़ी जाती है। इन वाइंडिंगों को ताँबा से बनाया जाता है।


5.वाइंडिंग

कोर पर किए गए तारों के फेरे को वाइंडिंग के नाम से जानते हैं। इसको हिंदी भाषा में कुंडली कहते हैं।सिंगल फेज ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग की जाती है। जिनमें से एक प्राइमरी वाइंडिंग और दूसरी सेकेण्डरी वाइंडिंग होती है, और थ्री फेज ट्रांसफार्मर में तीन वाइंडिंग की जाती हैं। जिनमें से तीन प्राइमरी वाइंडिंग और तीन सेकण्डरी वाइंडिंग होती हैं।


6.ट्रांसफार्मर ऑयल

यह ट्रांसफार्मर के टैंक में भरा जाता है। इसका उपयोग ट्रांसफार्मर में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को कम करने के लिए किया जाता है। यह दो प्रकार का होता है, पहला खनिज तेल और दूसरा सिन्थेटिक तेल होता है। खनिज तेल को पेट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। और सिन्थेटिक तेल हाइड्रोकार्बन व सिलिकॉन के मिश्रण से बनाया जाता है।


7.कंजरवेटर

यह एक छोटा टैंक होता है, यह मुख्य टैंक के ऊपर फिट होता है, यह टैंक आधा भरा रहता है। यह टैंक आधा इसलिए भरा जाता है, कि जब मुख्य टैंक का तेल अधिक गर्म हो जाता है, तब तेल का आयतन बढ़ जाता है, लेकिन टैंक का आयतन नहीं बढ़ता है, इससे टैंक के ब्लॉस्ट होने का खतरा रहेगा। इसलिए जब तेल गरम होकर अपना आयतन बढ़ाता है, तब कुछ तेल छोटे टैंक में चला जाता है, और जब तेल का तापमान कम होता है, तब तेल का आयतन कम होता है, और तभी छोटे टैंक का आधा तेल मुख्य टैंक में चला आता है। (ट्रांसफार्मर क्या है)


8.बकोल्ज रिले

इस भाग में दो मर्करी स्विच तथा दो फ्लोट होते हैं। बल्कोज रिले को मेन टैंक और कंजरवेटर से जोड़ने वाली पाइप लाइन में लगाया जाता है। जब ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार का इंटरनल दोष उत्पन्न होता है, तब बकोल्ज रिले एक अलार्म बजाता है, और साथ ही मेन लाइन को कट कर देता है, जिससे मेन लाइन से आने वाली लाइट ट्रांसफार्मर में नहीं आती है, और दुर्घटना होने से बच जाती है। बकोल्ज रिले एक स्वचालित सर्किट ब्रेकर की तरह वर्क करता है।


9.एक्सप्लोजन वेंट

इसे प्रेशर रिलीज वॉल्व कहते हैं। जब टैंक में शार्ट सर्किट या किसी अन्य कारण से एयर बनती है, तो यह टैंक में उत्पन्न एयर को बाहर निकाल देता है, लेकिन बाहर की एयर को अंदर नहीं आने देता है। यदि यह एयर को बाहर नहीं निकालेगा। तब ट्रांसफार्मर के फटने का खतरा बना रहेगा।


10.ब्रीदर

ब्रीदर, शब्द ब्रीदिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ सांस लेना होता है। यह भाग ट्रांसफार्मर को शुष्क एयर देने का काम करता है।

इसमें सिलिकाजल भरा होता है। यह कंजरवेटर से जुड़ा होता है। जब टैंक में तेल का तापमान बढ़ता है, तब तेल का आयतन बढ़ने लगता है, और साथ में ही एयर प्रेशर भी बढ़ने लगता है, तब यह एयर ब्रीदर व एक्सप्लोजन वेंट की सहायता से निकल जाती है। और जब तेल ठंडा होता है, तब तेल सिकुड़ता है, और साथ में ही एयर भी सोकता है। यह एयर ब्रीदर से होकर जाती है। ब्रीदर एयर को टैंक में जाने से पहले नमीयुक्त बना देता है, अर्थात् ब्रीदर में भरा सिलिकाजल एयर की नमी को सोख लेता है। यदि नमी वाली एयर टैंक में चली जाए। तो ट्रांफार्मर खराब हो जाएगा।


शुष्क अवस्था में सिलिकाजल का रंग नीला होता है। और नमी वाले सिलिकाजल का रंग गुलाबी होता है।


11.बुसिंग

बुसिंग का उपयोग ट्रांसफर्मर से बाहर निकलने वाले तार को ढकने के लिए किया जाता है। इसके साइज का चयन वोल्टेज के आधार पर रखा जाता है। बुसिंग की लम्बाई लो वोल्टेज वाइंडिंग की तरफ कम रखी जाती है। और अधिक वोल्टेज वाइंडिंग की तरफ अधिक रखी जाती है।

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